Friday, 4 October 2019

भारत को छात्रों के योगदान की जरूरत : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

फोटोः डीडी 3
कैप्शन : कार्यक्रम मे भाग लेते परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक, स्वामी चिदानन्द सरस्वती।
भारत को छात्रों के योगदान की जरूरत : स्वामी चिदानन्द सरस्वती
भगवती प्रसाद गोयल/एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक, स्वामी चिदानन्द सरस्वती और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती ने सहभाग कर हजारों छात्रों को सम्बोधित किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज को ’’वल्र्ड पीस (शान्ति) सम्मान’’ से सम्मानित किया गया। पांचवे वार्षिक सस्म्मेलन के विशिष्ट अतिथि यूनेस्कों के मानवाधिकार, लोकतंत्र, शान्ति और सहिष्णुता के अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ विश्वनाथ डी कराड़ शामिल थे, केरल के राज्यपाल और भारत सरकार के पूर्व सांसद महामहिम आरिफ मोहम्मद खान, एमआईटी-डब्ल्यूपीयू पुणे के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल वी कराड, एमआई-एडीटीयू, लोनी, पुणे के कार्यकारी अध्यक्ष, डाॅ मंगेश, शिक्षाविद्, लेखक, राजनेता, पर्यावरणविद् और दार्शनिकों ने सहभाग किया। वल्र्ड पीस पुरस्कार से पदम विभूषण डाॅ करनसिंह को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विज्ञान, दर्शन और आध्यात्मिकता पर प्रेरणादायक उद्बोधन दिया। ’’जीवन को जीने के लिये तीन टी प्रोग्राम ’’टंग मैनेजमेंट (जीभ प्रबंधन), टाइम मैनेजमेंट (समय प्रबंधन) और थाॅट मैनेजमेंट (विचार प्रबंधन) पर समझाते हुये कहा कि इन तीनों का प्रबंधन ही वास्तविक प्रबंधन है और यही सच्ची आध्यात्मिकता है और हमारी संस्कृति भी है। जब हम जीवन में वास्तव में जीभ, समय और विचार प्रबंधन को लागू करते है तो हमारा जीवन सफल हो जाता है और दुनिया के लिये यह सबसे बेहतर संपति बन सकता है।’’ स्वामी ने कहा कि एकता और एकजुटता की संस्कृति और एक-दूसरे पर भरोसा ही भारत की संस्कृति है। प्रकृति और भविष्य दोनों बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होने कहा कि जो हम अपने आप के लिये चाहते हैं उसे समाज को समर्पित करना सीखे यही हमारी संस्कृति और प्रकृति भी है। हमें अपनी संस्कृति की रक्षा करनी चाहिये और अपनी संस्कृति पर आधारित जीवन मूल्यों को प्राथमिकता देना ही श्रेयष्कर है। अपने भविष्य और आने वाली पीढ़ियों को उज्जवल भविष्य प्रदान करने के लिये पर्यावरण एवं जल संरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि स्कूल में हमने जो विज्ञान और दर्शन सीखा है वह वास्तव में शानदार है, जिससे दुनिया में कई अद्भुत आविष्कार हुये लेकिन अंततः आध्यात्मिकता से ही वास्तव में हमें जीवन की दिशा प्राप्त होती है। उन्होेने कहा कि मेरा जन्म और शिक्षा अमेरिका में हुई वहां पर एमआईटी है; प्रोद्यौगिकी, गणित, विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अग्रज है लेकिन जीवन की तकनीक केवल भारतीय दर्शन और अध्यात्म में समाहित है। उन्होने कहा कि शैक्षिक विषयों में ज्ञान है; तथ्य है वे अद्भुत हैं, लेकिन मैं कौन हूँ, मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है, मेरा धर्म क्या है, इन सब का जवाब शैक्षिक पाठ्यक्रम में नहीं है यह केवल आध्यात्मिकता में ही समाहित है। उन्होने कहा कि जिसे हम ज्ञान कहते है वह केवल तथ्यों पर आधारित ज्ञान नहीं है बल्कि उस ज्ञान के माध्यम से हमारे जीवन में सद्गुण का समावेश हो, जीवन में सच्चाई आये यही वास्तविक जीवन है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने केरल के राज्यपाल और भारत सरकार के पूर्व सांसद महामहिम आरिफ मोहम्मद खान को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया गया। इस कार्यक्रम में उपस्थित हजारों छात्रों, प्रोफेसर और विशिष्ट अतिथियों को स्वामी जी ने जल एवं पर्यावरण संरक्षण, एकल उपयोग प्लास्टिक का प्रयोग न करने का संकल्प कराया सभी ने हाथ खड़े कर संकल्प कराया। स्वामी ने कहा कि भारत के पास छत्र तो है परन्तु अब छात्रों के योगदान की जरूरत है। इस देश का छत्र तो देश सेवा में लग गया अब छात्र शक्ति भी लग जायेंगी तो देश को विश्वगुरू बनते देर नहीं लगेगी। हजारों छात्रों ने स्वामी जी के साथ संकल्प को दोहराया वास्तव में यह अद्भुत दृश्य था।

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