Sunday, 6 October 2019

जिन्दगी से करे प्यार, नशे को करे इनकार : चिदानन्द सरस्वती


फोटोः डीडी 6
कैप्शन : कार्यक्रम मे भाग लेते परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज।
जिन्दगी से करे प्यार, नशे को करे इनकार : चिदानन्द सरस्वती
भगवती प्रसाद गोयल/एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस 
ऋषिकेश, 6 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन में दो दिवसीय स्वास्थ्य और अधिकारों के लिये समुदायों को संवेदनशील बनाने हेतु धर्म आधारित संगठनों की भूमिका पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मादक द्रव्यों के सेवन और नशामुक्ति पर धर्मगुरूओं और विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किये। साथ ही विभिन्न सामाजिक समस्याओं पर भी विस्तृत विचार विमर्श किया गया। विशेषज्ञोें ने बताया कि नशा क्या है, नशीली दवाओं के सेवन की प्रवृतियों को कम करना, प्रमुख दवाओं का अवलोकन, युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृति तथा नशीली दवाओं के उपयोग से होने वाले प्रभावों पर विस्तृत चिंतन किया गया। कार्यशाला में उपस्थित लोगों ने नशे के कारण समुदाय में उत्पन्न होने वाली समस्याओं और उनके समाधान पर अपने विचार साझा किये। इन समस्याओं से निपटने के लिये नीतियों का निर्धारण, कार्यक्रम और सामाजिक परिपे्रक्ष्य पर भी चिंतन किया गया। इस अवसर पर शिया धर्मगुरू मौलान कोकब मुज़तबा जी, बहाई धर्म नेशनल ट्रष्टी डाॅ के मर्चेन्ट जी, चाॅद कौशिल, संयुक्त राष्ट्र कार्यालय सूचना संचार और प्रौद्योगिकी, परमजीत सिंह चंडोक, अध्यक्ष गुरूद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली, डाॅ ज्योतिंद्र दवे, निदेशक, अक्षरधाम, साध्वी भगवती सरस्वती और विभिन्न धर्माे के धर्मगुरूओं ने सहभाग कर युवाओं को सम्बोधित किया और बताया कि किस प्रकार युवाओं को मादक पदार्थाे के सेवन से मुक्त किया जाये। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि तम्बाकू, शराब, धूम्रपान और अन्य मादक द्रव्य हमारे बच्चों को हमसे छीन रहा है। हमें एक नशा मुक्त भारत बनाना है क्योंकि दुनिया भर में प्रतिवर्ष 70 लाख और भारत में 10 लाख मौतें धूम्रपान के कारण होती है। उन्होने कहा कि जीवन, ईश्वर प्रदत्त उपहार है अतः जीवन के महत्व को समझे और उसे नशीली चीजें खाकर बर्बाद करे। ये नशीली वस्तुयें कुछ समय के लिये तो आपको खुशी दे सकती है परन्तु धीरे-धीरे जीवन का आनन्द छीन लेती है तथा इसका सेवन कर व्यक्ति जीवन की वास्तविकता से दूर होता चला जाता है। उन्होने कहा कि अगर हमें अपने जीवन से प्यार है तो मादक पदार्थाे से दूर रहना होगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ’’स्वामी जी ने कहा कि नशा, नाश करता है। युंवाओं को नशे से दूर रहना चाहिये। नशे में नशा नहीं है बल्कि यह नशा तो नाश करता है। स्वामी जी ने कहा कि एक ऐसा भी नशा है जो भीतर की मस्ती, आनन्द और दिव्यता प्रदान करता है और हम इससे ध्यान के माध्यम से जुड़ सकते है। ध्यान के माध्यम से हम अपने आप से जुड़ेगे तो पक्का माने कि नशे की प्रवृति भी छूटेगी, व्यसन भी छूटेंगे और हम व्यस्त रहते हुये भी मस्त रह सकेंगे।
’’ये अपने ही दिल की मस्ती, जिसने मचाई हलचल।
नशा शराब में होता तो नाचती बोतल।’’
स्वामी जी ने कहा कि नशा सिगरेट का हो, ड्रग्स का हो, तम्बाकू का हो, शराब का हो या सिगरेट का हो सभी से हमें बचाना चाहिये तथा मनुष्य को सरल, सात्विक और मर्यादित जीवन जीना चाहिये। उन्होने कहा कि नशा चाहे बाहर का हो या भीतरी का दोनों घातक होते है। बाहर का नशा शरीर को नष्ट करता है तथा भीतरी नशा यथा काम, क्रोध, अहंकार, लोभ और इस तरह के अन्य विकार मनुष्य जीवन की सभी सम्भावनाओं को समाप्त कर देते है इसलिये नशा और विकारों से युक्त जीवन ही श्रेष्ठ जीवन है। अगर किसी घर में धूम्रपान किया जाता है तो उस घर में जन्म लेने वाले बच्चे भी सेकड हैंड स्मोकिंग के शिकार होते है और इस तरह की स्मोकिंग भी उतनी ही घातक है जितनी की स्मोकिंग क्योंकि बच्चे बड़ों की तुलना में अधिक सांस लेते है अतः स्मोकिंग का धुआँ उनके फेफड़ों में अधिक जाता है जिससे वे घातक बीमारियों की चपेट में सकते है। ऐसे बच्चों की रोगप्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है तथा ऐसे बच्चों को दिमागी लकवा होने की सम्भावनायें भी अधिक होती है। स्वामी जी ने कहा कि बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिये हमें कूड़े को जलने से बचाना होगा, चिमनियों का उपयोग करना होगा। उन्होने कहा कि हरियाली की कमी और खाली पड़ी जमीन भी वायु प्रदूषण का कारण है। वायु प्रदूषण से महिलाओं और बच्चों को सबसे अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि हमें सोशल मीडिया, समाचार पत्र और अन्य सूचना साधनों से पता चलता है कि कहीं पर कोई दुःखद घटना घटी और उसमें कुछ लोगों की असमय मौत हो गयी तो पूरा देश दुःखी हो जाता है वही दूसरी ओर भारत जैसे आध्यात्मिक और संस्कार सम्पन्न देश में मादक पदार्थाे के सेवन से अनेक लोगों की मौत हो जाती है। अकेले धूम्रपान की वजह से प्रतिवर्ष 10 लाख लोगों की मौत हो जाती है उसमें अनेक युवा भी होते है क्या यह आकड़ा हमें अपनी जवाबदारी का एहसास नहीं कराता। हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपने बच्चों को धूम्रपान और नशा के बारे में बताये उन्हे जागरूक करे फिर भी वे नशे में लिप्त हो गये है तो उन्हे प्यार से जीवन के महत्व के बारे में समझाये और असमय मौत की ओर जाने से रोके। स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने आह्वान किया कि ’’जिन्दगी से करे प्यार, नशे को करे इनकार’’ उन्होने नशा मुक्त जीवन जीने का संकल्प कराया। इस कार्यशाला में एम्स के डाॅ रविंदर राव, कुणाल किशोर, एलायंस इण्डिया, इंडिया एचआईवी, एड्स एलायंस के चरणजीत शर्मा, इरा मंडल, शुभी धुपर, यूनाइटेड धर्म इनिशिएटिव इन्डिया हेड, डाॅ सचिन परब, ब्रह्मकुमारी, डाॅ प्रेम नायर, मेडिकल डायरेक्टर, अमृता हाॅस्पिटल, आचार्य किनले, ड्रुकुंग चेत्संग रिनपोचे जी कार्यालय, आत्माराम विधी जी, श्रीमद् राजचंद्र मिशन, सुश्री गंगा नंदिनी, परियोजना कार्यान्वयन एकीकरण और संचार, जीवा निदेशक और अनेक प्रतिभागियों ने स्वामी जी महाराज के सान्निध्य में वाॅटर ब्लेंसिंग सेरेमनी सम्पन्न की।

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