फोटोः डीडी 10
कैप्शन : सत्संग साधना
शिविर के समापन मे भाग लेते संत।
सात दिवसीय सत्संग
साधना शिविर का समापन
संदीप गोयल/एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
ऋषिकेश, 24 अक्टूबर।
परमार्थ निकेतन में आयोजित स्वामी नारायण गुरूकुल विश्वविद्यालय, अहमदाबाद के तत्वाधान
में सात दिवसीय सत्संग साधना शिविर का समापन हुआ। स्वामी माधवप्रिय दास महाराज के पावन
सान्निध्य में गुजरात प्रांत से सैकडों की संख्या में आये श्रद्धालु माँ गंगा के पावन
तट पर स्नान, योग, ध्यान, सत्संग और साधना का लाभ लिया। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, पुराणी बालकृष्ण दास स्वामी जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय
महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती और स्वामी नारायण गुरूकुल परम्परा के अन्य पूज्य संतों
ने भक्तों को सम्बोधित किया। सात दिवसीय सत्संग साधना शिविर के स्वामी माधवप्रिय दास
महाराज प्रमुख वक्ता थे। इस साधना शिविर में गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आरबी
ढोलरिया और कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आरके बाग ने सपरिवार सहभाग किया और
कहा कि परमार्थ निकेतन परमार्थ निकेतन सचमुच स्वर्ग है और अद्भुत शान्तिदायक स्थान
है। यह स्थान मन को आध्यात्मिकता से भर देता है। परमार्थ से विदा लेते हुये एसजीव्हीपी
के सदस्यों, महिला शक्ति और युवाओ के नेत्रों में आंसु थे, उनके पास कहने के लिये शब्द
नहीं थे। साधकों ने कहा कि स्व को जानने और अपनी साधना को पुष्ट करने का सबसे उत्तम
स्थान है। परमार्थ निकेतन दिव्य स्थान है, सत्संग का स्वर्ग है। परमार्थ निकेतन के
परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हम पूरा जीवन अपने लिये कार्य करते है,
अपने लिये कार्य करे बेहतर है परन्तु अपने लिये कार्य करने से भी बेहतर है कि हमारी
वजह से किसी का जीवन बेहतरीन बने। मैं बेहतर बनू एक बात मेरी वजह से किसी का जीवन बेहतरीन
बने यह बहुत जरूरी है। अपने जीवन से; अपने कर्माे से हम कितनों को खुश कर पाये; कितनों
को मार्गदर्शन दे पाये। इसलिये हम अच्छे कर्माे को करे, अच्छे कर्माे की कमाई करे हमारे
एक अच्छे कर्म से किसी को जीवन मिलता है तो किसी का जीवन बदलता है, किसी का दिल बदलता
है और किसी का दिन बदलता है। ऐसे दिव्य आयोजनों से, संतों की वाणी से और संतो के संग
से जीवन में अद्भुत परिवर्तन होता है। अतः जीवन बदलने की, दिल बदलने की और दिन बदलने
की प्रक्रिया हमारे हर कर्म में हो यही प्रयास करना चाहिये। स्वामी माधवप्रिय दास ने
कहा कि यहां आकर दिव्यता की अनुभूति हुई, यहां गंगा के तट पर सात दिन कैसे व्यतीत हुये
पता भी नहीं चला। उन्होने कहा कि परमार्थ निकेतन और पूज्य स्वामी जी से हमारा रिश्ता
दिल का रिश्ता है। स्वामी जी ने कहा कि दीवारे, मकान और भवन तो कहीं भी खड़े किये जा
सकते है परन्तु दिल के रिश्ते जब बनते है तो वह अटूट होते है। परमार्थ निकेतन आकर ऐसा
लगता है मानों हम अपने घर में ही है यही तो यहां की विशेषता है। सत्संग साधना शिविर
में राम स्वामी, श्याम भगत, भक्तवल्लभ स्वामी, भगत महाराज, शास्त्री महाराज, आयोजक
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आरपी ढोलारिया, विनोद भाई झालावाडीया, संकेत कुमार और उनका
पूरा परिवार, गुजराज राज्य से सैंकड़ों की संख्या में पधारे श्रद्धालुओं, स्वामी नारायण
गुरूकुल के छात्र, परमार्थ निकेतन गुरूकुल के ऋषिकुमार एंव विश्व के अनेक देशों से
आये श्रद्धालुओं ने सहभाग किया। सभी को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने एकल उपयोग प्लास्टिक
का उपयोग न करने का संकल्प कराया। स्वामी जी ने कहा कि विगत वर्ष के सत्संग साधना शिविर
के माध्यम से एस जी व्ही पी के सदस्यों और भक्तों ने 108 गांवों की स्वच्छता और हरियाली
से युक्त करने का संकल्प लिया था अब इस वर्ष इस मुहिम को गुजरात राज्य के गांवों तक
ले जाने की है, इस हेतु सभी ने संकल्प लिया। स्वामी ने युवाओं से कहा कि एकल उपयोग
प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल न करे, मादक पदार्थाे से दूर रहे तथा अपने गांवों और शहरों
को स्वच्छ और हरित बनाने में सहयोग करे क्योकि संत, संस्थायें और युवा जब जुड़ जाते
है तो सचमुच सरकार का काम भी आसान हो जाता है और पर्यावरण का भी संरक्षण होता है।
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