पिच्छी परिवर्तन सहयोगियो का
हुआ सम्मान, मुनिश्री
का मंगल विहार
संदीप गोयल/एस.के.एम.
न्यूज़ सर्विस
देहरादून। आज सुबह
संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी उत्तराखंड
सरकार राजकीय अतिथि
घोषित 108 मुनि श्री
सौरभ सागर महाराज
की पिच्छी परिवर्तन
पूरे चातुर्मास जिन
जिन सहयोगीयो का
सहयोग रहा उनका
सम्मान किया गया।
चार महीने के
चातुर्मास में मुनिश्री
108 सौरभ सागर महाराज
ने पूजा पाठ
विधान व अनेक
धार्मिक अनुष्ठान कराए। जिसमे
देहरादून जैन समाज
ने बढ़ चढ़
कर पूर्ण रूप
से हिस्सा लिया
व अपनी हर
धार्मिक कार्यो में पूरी
भागेदारी की। महाराज
श्री ने अपने
प्रवचनों में बोला
की एक संत
को तो कही
ना कही चातुर्मास
करना होता हैं।
पर वहाँ के
श्रावक कितना धर्म या
धर्म के रास्ते
पर चलते हैं
ये तो उनकी
अपनी अपनी क्षमता
का हिसाब हैं
मैं तो सब
मे बराबर ही
बाटता हूँ। महाराज
श्री ने देहरादून
ने समाज के
लिए अपना मंगल
आशीर्वाद दिया और
कहां की सभी
का इतना सहयोग
रहा सभी ने
पूरा साथ दिया
तभी ये चातुर्मास
सफल हुआ। पिच्छी
मिलने का सौभाग्य
महाराज श्री के
साथ 24 साल से
जुड़े बाराबंकी के
सुरेंद्र कुमार व अनिता
जैन को मिला
जो पिच्छी मुनि
श्री के पास
होती हैं। उसको
अपने किसी भक्त
को देकर नई
पिच्छी ग्रहण करते हैं
लेकिन जो भी
मुनिश्री की पिच्छी
को लेता हैं
उसको अनेक प्रकार
के नियमों का
पालन करना पड़ता
हैं। तभी व
पिच्छी किसी श्रावक
को प्रदान की
जाती हैं। मुनि
श्री ने पिच्छी
के लिए व्यख्यान
करते हुए कहाँ
कि ये मोरपंखी
पिच्छी बहुत हल्की
होती हैं, मगर
इसको उठाकर चलने
का साहस कोई
बिरला ही कर
सकता हैं। मोर
पंख से बनी
पिच्छी में 5 गुण होते
है और जो
इसको ग्रहण करने
संत बनके वैराग्य
लेकर चलता हैं।
उसमे पचास गुण
होते हैं और
जब इसी वैराग्य
को पालते पालते
एक संत केवल
ज्ञान की प्रप्ति
करता हैं। तब
तक इस पिच्छी
में 1008 गुण विद्धमान
हो जाते हैं
तो ये कोई
मामूली पिच्छी नही होती।
इस मौके पर
सरधना मेरठ दिल्ली
शामली खेकड़ा लखनऊ
ऋषिकेश आदि से
काफी भक्तजन आये
हुए थे। इस
मौके पर मौजूद
नरेंद्र कुमार जैन, अमित
जैन, दीपा जैन,
विनोद कुमार जैन,
सुकुमार जैन, संदीप
जैन, संजय जैन,
दिनेश जैन, मुकेश
जैन, राजीव जैन,
सचिन जैन, विनय
जैन, अनिल जैन,
अलका जैन, सुनना
जैन, पूर्णिमा जैन,
अजित जैन आदि
उपस्थिति रहे। मीडिया
प्रभारी मंजू जैन
ने बताया कि
आज ही मुनि
सौरभ सागर महाराज
का 3 बजे जैन
धर्मशाला गाँधी रोड से
मंगल विहार ऋषिकेश
के लिए हुआ।
देहरादून जैन समाज
के सभी श्रद्धालुओं
ने नम आखों
से मुनि श्री
को विहार के
लिए विदाई दी।
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