फोटोः डीडी 5
कैप्शन : वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
अरुण मोहन जोशी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने
लिखा अधीक्षण अभियंता
यूपीसीएल को पत्र
संदीप गोयल/एस.के.एम.
न्यूज़ सर्विस
देहरादून। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
देहरादून अरुण मोहन
जोशी ने अधीक्षण
अभियंता यूपीसीएल विद्युत वितरण
मंडल, कौलागढ़ देहरादून
को पत्राचार कर
विधुत पोलो का
इस्तेमाल करने वाले
संस्थानों, केबल लगाने
के प्रयोजनों तथा
उक्त संस्थान, जिनके
द्वारा अनुमति ली गयी
है, के संबंध
में जानकारी मांगी
गई है, ताकि
ऐसे केबल ऑपरेटर
व अन्य एजेंसियों
को चिन्हित किया
जा सके, जिनके
द्वारा अभी तक
अनुमति ली गई
है और उक्त
संस्थानों के विरुद्ध
आवश्यक वैधानिक कार्रवाई अमल
में लाई जा
सके।
गौरतलब हैं की
विगत 21 अक्टूबर को वरिष्ठ
पुलिस अधीक्षक देहरादून
की अध्यक्षता में
विद्युत पोलो में
बेतरतीब होकर गुजर
रहे केबल टीवी,
इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर व
अन्य एजेंसियो के
तारों को सुव्यवस्थित
करने और संबंधित
एजेंसियों के द्वारा
विद्युत पोलों के इस्तेमाल
के संबंध में
जिला प्रशासन, विद्युत
विभाग एवं केबल
ऑपरेटरो के साथ
एक बैठक आयोजित
की गई थी।
बैठक के दौरान
विद्युत विभाग द्वारा अवगत
कराया गया था
कि केबल ऑपरेटरो
द्वारा बिना विभागीय
अनुमति के उनके
खंबो में अपने
केबल लाइन के
तार को बिछाया
गया है, जिसका
कोई रिकार्ड उपलब्ध
नहीं है और
ना ही इस
बात की कोई
जानकारी है की
इन पोलो पर
इस्तेमाल होने वाली
तारों का उपयोग
कौन सा उपभोक्ता
कर रहा है।
जिससे भविष्य में
इन केबल के
तारों का उपयोग
गलत कार्यों में
किया जाने का
खतरा बना हुआ
है। बैठक में
सभी केबल ऑपरेटर
व अन्य एजेंसियों
को 9 नवंबर 2019 तक
उनके द्वारा विद्युत
खंभों में इस्तेमाल
की जा रही
वायर का चिंन्हीकरण
करने तथा अपने
अपने क्षेत्र में
बिजली के खंभों
का इस्तेमाल करने
हेतु यूपीसीएल से
अनुमति लेने तथा
निर्धारित समयावधि के पश्चात
अनुमति ना लेने
वाले केबल ऑपरेटर
व अन्य एजेंसियों
के विरुद्ध वैधानिक
कार्रवाई करने के
निर्देश दिए गए
थे। इसी क्रम
में आज वरिष्ठ
पुलिस अधीक्षक देहरादून
द्वारा अधीक्षण अभियंता यूपीसीएल
विद्युत वितरण मंडल, कौलागढ़
देहरादून को पत्राचार
कर विधुत पोलो
का इस्तेमाल करने
वाले संस्थानों, केबल
लगाने के प्रयोजनों
तथा उक्त संस्थान,
जिनके द्वारा अनुमति
ली गयी है,
के संबंध में
जानकारी मांगी गई है,
ताकि ऐसे केबल
ऑपरेटर व अन्य
एजेंसियों को चिन्हित
किया जा सके,
जिनके द्वारा अभी
तक अनुमति ली
गई है और
उक्त संस्थानों के
विरुद्ध आवश्यक वैधानिक कार्रवाई
अमल में लाई
जा सके।
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