संतुलित विकास उत्तराखण्ड सरकार
की प्राथमिकता : त्रिवेन्द्र
रैबार कार्यक्रम में विकास
को लेकर किया
गया मंथन
संदीप गोयल/एस.के.एम.
न्यूज़ सर्विस
नई टिहरी/देहरादून 03 नवम्बर।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत,
उत्तर प्रदेश के
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,
सेना प्रमुख जनरल
विपिन रावत, एनटीआरओ
के पूर्व प्रमुख
आलोेक जोशी, कोस्ट
गार्ड के पूर्व
महानिदेशक राजेन्द्र जोशी, उत्तराखण्ड
के कैबिनेट मंत्री
सुबोध उनियाल, उच्च
शिक्षा मंत्री धन सिंह
रावत सहित विभिन्न
हस्तियों ने उत्तराखण्ड
सरकार द्वारा आयोजित
‘रैबार-2‘ कार्यक्रम में शिरकत
की।
मुख्यमंत्री
श्री त्रिवेन्द्र सिंह
रावत ने कहा
कि संतुलित विकास
से ही जनता
की आकांक्षाओं के
अनुरूप उत्तराखण्ड का निर्माण
किया जा सकता
है। पिछले ढाई
वर्षों में सरकार
ने ऐसी नीतियां
बनाई हैं, जिनसे
पर्वतीय क्षेत्रों का विकास
हो और विकास
का लाभ दूरवर्ती
पिछड़े क्षेत्रों तक
पहुंचे। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र
टिहरी में आयोजित
रैबार-2 कार्यक्रम को सम्बोधित
कर रहे थे।
मुख्यमंत्री
ने रैबार में
आए अतिथियों का
स्वागत करते हुए
कहा कि पिछली
बार यह कार्यक्रम
देहरादून में आयोजित
किया गया था।
इस बार टिहरी
झील के किनारे
का स्थान चुना
गया है, टिहरी
ऐतिहासिक स्थल है,
जहां गप्पु चैहान
जैसे वीर पैदा
हुए थे। माधो
सिंह भण्डारी जिनकी
वीरता तो प्रसिद्ध
थी ही परन्तु
उनके कृषि के
क्षेत्र में किये
गये प्रयास एवं
बलिदान से आज
भी सब अचम्भित
हैं। विक्टोरिया क्राॅस
विजेता गब्बर सिंह जैसे
वीरों की धरती
आज निश्चित रूप
से हम प्रदेशवासियों
को प्रेरणा देती
है। हम भी
यह चाहते हैं
कि यह रैबार
कार्यक्रम एक प्रेरणा
देने वाला कार्यक्रम
बने। अपने गांव
के लिए कुछ
करें, अपने प्रदेश
के लिए कुछ
करें, इस सोच
के साथ रैबार
कार्यक्रम विगत वर्ष
से आयोजित किया
जा रहा है।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि
रैबार के सफल
परिणाम आए हैं।
कोस्ट गार्ड का
रिक्यूरिंग सेन्टर हमें मिला
है। तमाम विकास
की योजनाओं में
हमें जो समर्थन
मिला है उसमें
कहीं न कहीं
रैबार कार्यक्रम का
भी योगदान रहा
है। मुख्यमंत्री ने
कहा कि जब
हम कहते हैं
कि शहीद राज्य
आंदोलनकारियों की भावनाओं
के अनुरूप उत्तराखण्ड
बने तो इसका
आशय प्रदेश के
संतुलित विकास से होता
है। हमें उन
क्षेत्रों में आगे
बढ़ना होगा जिसमें
हमारा एकाधिकार हो
सकता है। उत्तराखण्ड
स्वाभाविक रूप से
आर्गेनिक राज्य है। हमने
पूरे प्रदेश में
आर्गेनिक क्लस्टर तैयार किये
है। पिरूल को
हम अभिशाप मानते
हैं, वो हमारे
लिए वरदान साबित
होने वाला है।
हम पिरूल से
बिजली बनाने के
लिए नीति बनायी
है। पिरूल की
पत्तियों से बिजली
बनाने के 23 प्रोजेक्ट
शीघ्र ही राज्य
में शुरू होने
वाले हंै, जिससे
कुछ ही दिनों
मंे बिजली बनना
आरम्भ हो जायेगा।
गैस की अपेक्षा
पिरूल की पत्तियों
से होने वाली
ऊर्जा की लागत
काफी कम है,
जल्द ही हम
पाईन की पत्तियों
से फ्यूल बनाने
का पहला प्रोजेक्ट
लगाने जा रहे
है। चीड़ वनों
में विनाश का
कारण बन रहा
था, पर्यावरण को
नुकसान पहुंचा रहा था,
वही चीड़ की
पत्तियों से हमे
अब ऊर्जा मिलेगी,
हजारांे लोगों को रोजगार
मिलेगा, यह हमारे
विकास का आधार
बनेगा। मुख्यमंत्री ने कहा
कि रैबार कार्यक्रम
के बाद इन्वेस्टर्स
समिट के समय
हम 10 नई पाॅलिसी
लेकर आए और
05 पाॅलिसी में परिवर्तन
किया। परिणामस्वरूप एक
वर्ष एक माह
में ही प्रदेश
में 17,000 करोड़ रूपए
से अधिक का
निवेश आॅन ग्राउण्ड
हुआ है। सोलर
ऊर्जा के क्षेत्र
में भी हम
आगे बढ़े हैं।
सोलर में राज्य
में 600 करोड़ रूपये
का निवेश हुवा
है।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि
आज उत्तराखण्ड की
प्रति व्यक्ति आय
01 लाख 98 हजार से
ज्यादा है। परन्तु
जब हम जनपदों
की आपसी तुलना
करें तो काफी
अन्तर नजर आता
है। हमें इस
अंतर को दूर
करना है। इसके
लिए हमने ग्रामीण
विकास एवं पलायन
आयोग बनाया। इस
आयोग के माध्यम
से गांव-गांव
का अध्ययन कराकर
डाटा जुटाया गया।
यह डाटा भविष्य
का फ्यूल है,
इसी डाटा के
माध्यम से हम
राज्य के विकास
का सही ढंग
से नियोजन कर
सकते हैं। इसलिये
हमारी पूरी कोशिश
है कि प्रदेश
के दूरस्थ क्षेत्रों
में ज्यादा से
ज्यादा इन्वेस्टमेंट आए। फिल्म
शूटिंग में उत्तराखण्ड
को विशेष पहचान
मिली है। उत्तराखण्ड
को बेस्ट फिल्म
फ्रेंडली स्टेट का अवार्ड
मिला है। उत्तराखण्ड
की प्राकृतिक सुन्दरता,
जैव विविधता और
मानव संसाधन हर
किसी के लिए
आकर्षण का केंद्र
है। प्रकृति का
संरक्षण करके इसका
उपयोग राज्य के
विकास को गति
प्रदान करने में
कर रहे हैं।
सबसे पहले भ्रष्टाचार
पर प्रहार करने
की जरूरत है।
पिछले ढाई वर्षों
में हमने भ्रष्टाचार
पर कड़े प्रहार
किए हैं। मुख्यमंत्री
ने कहा कि
प्रवासी उत्तराखण्डी बार-त्यौंहार
पर अपने गांव
आएं। वर्ष भर
में कम से
कम दो-तीन
बार हमें अपने
गांवों में रहना
चाहिए। इससे भी
बड़ा फर्क पड़ेगा।
राज्य में विकास
की सम्भावनाओं की
कमी नहीं है।
उत्तराखण्ड में आसानी
से उपलब्ध कण्डाली
से भी कई
तरह के उत्पाद
तैयार किए जा
सकते हैं। उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने
रैबार-2 को अपनी
भूमि से जोड़ने
का एक अभिनव
प्रयोग बताते हुए कहा
कि उत्तराखण्ड के
चारधामों के प्रति
देश व दुनिया
के श्रद्धालु अपनी
सच्ची श्रद्धा रखते
हंै। गंगा व
जमुना जैसी पवित्र
नदियां जिस प्रदेश
ने देश को
दी हो वह
निश्चित ही अतुलनीय
है। उत्तर भारत
की उपजाऊ भूमि
के पीछे उत्तराखण्ड
से निकलने वाली
गंगा यमुना जैसी
नदियां हैं। उन्होंने
कहा कि उत्तराखण्ड
का वासी जहां
कहीं भी गया
है वहां की
समृद्धि में अपना
योगदान दिया है।
देश की सेना
सहित अन्य क्षेत्रों
में इस प्रदेश
ने कई विभूतियां
दी है। उत्तर
प्रदेश को भी
इस प्रदेश ने
अनेक मुख्यमंत्री दिये
हैं। उत्तराखण्ड में
न केवल फिल्म
शूटिंग क लिए
अपितु देश व
दुनिया के हर
प्रकार के पर्यटकों
के लिए चाहे
व श्रद्धालु के
रूप में आये
चाहे वो तीर्थाटन
के आये या
चाहे वह पर्यटक
के रूप में
आए उन सब
के लिए उत्तराखण्ड
बेस्ट डेस्टिनेशन साबित
होगा। इसमें कोई
संदेह नही है
कि जिस दिशा
में यहां की
सरकार ने कार्य
प्रारम्भ किया है,
जिस तरह से
टिहरी झील की
ब्रांडिंग की जा
रही है इसके
जरिये निश्चित रूप
से एक दिन
यह झील कश्मीर
की डल झील
से ज्यादा प्रसिद्धि
प्राप्त कर सकेगी।
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