फोटोः डीडी 9
कैप्शन : वैश्विक शान्ति
की स्थापना हेतु रैली निकालते परमार्थ निकेतन के सदस्य।
वैश्विक शान्ति की
स्थापना के लिये निकाली रैली
जलवायुु परिवर्तन को
नियंत्रित रखना नितांत आवश्यक : चिदानन्द सरस्वती
संदीप गोयल/एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन
मे अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति दिवस के पश्चात
जल संरक्षण और वैश्विक शान्ति की स्थापना हेतु रैली निकाली गयी। जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय
महासचिव डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती के मार्गदर्शन में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार,
एनएसएस के युवा छात्र, विश्व के विभिन्न देशों से आये जल विशेषज्ञ, पर्यावरण प्रेमी
और देशी-विदेशी पर्यटकों ने सहभाग किया। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द
सरस्वती ने कहा कि वैश्विक शान्ति बनायें रखने के लिये जलवायुु परिवर्तन को नियंत्रित
रखना नितांत आवश्यक है। मुझे तो लगता है कि विश्व के सभी राष्ट्रों को आन्तरिक झगडो
से हटकर जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने तथा जल और वायु के बढ़ते प्रदूषण को कम करने
पर ध्यान देना चाहिये। उन्होने दुनिया के लोगों से आह्वान किया कि वैश्विक शान्ति की
स्थापना के लिये हमें हर दिन-हर जगह कुछ ऐसा करना होगा जो पर्यावरण संरक्षण जागरूकता
मिशन बने। स्वामी ने कहा कि जहां एक ओर दुनिया की बड़ी आबादी स्वच्छ जल, शुद्ध वायु
और मौलिक जरूरतों के लिये प्रतिक्षण जूझ रही हो वहां पर हम शान्ति की स्थापना की बात
कैसे सोच सकते है। उन्होने कहा कि जो भी सक्षम संस्थायें है उन्हे आगे आना होगा और
मिलकर सबसे पहले जल, जंगल और जमीन को प्रदूषण मुक्त कर एक स्वच्छ वातावरण के निर्माण
में अपना योगदान प्रदान करना होगा क्योकि इन बुनियादी जरूरतों पर सभी का अधिकार है।
स्वामी जी ने कहा कि जल वैज्ञानिक घोषणा कर रहे है कि आने वाले समय मंे जल शरणार्थियों
की संख्या सबसे अधिक होगी। उन्होने कहा कि कोई भी स्वेच्छा से अपने मूल स्थान को छोड़कर
नहीं जाता बल्कि परिस्थितियां उसे विवश करती है। ’’बहुत मजबूर होकर लोग निकलते हैं
अपने घर से खुशी से कौन अपने मुल्क से बाहर रहा है।’’
आने वाला जल शरणार्थी संकट शायद द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे विकराल संकट भी
हो सकता है। अतः समझदारी इसी में है कि हम अभी से इस ओर चिंतन करे और मिलकर कदम बढ़ायें।
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि शान्ति की स्थापना का तात्पर्य यही नहीं कि शान्ति
को हम हमारे हृदय में, हमारे शब्दों में, हमारे कार्य में, हमारे परिवार में स्थापित
करें, बल्कि शान्ति का अर्थ है जब तक हमारे पूरे समुदाय, समाज, राष्ट्र, विश्व और धरा
पर शान्ति की स्थापना नहीं हो जाती तब तक उसका प्रभाव धरती पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी
पर पड़ेगा। साध्वी जी ने कहा कि हम आये दिन भारत सहित विश्व की ऐसी अनेक घटनाओं को पढ़ते
और सुनते है जिसमें जल के लिये लोगों को मौत को गले लगाना पड़ा। आज यह समस्यायें कम
स्तर पर है परन्तु आगे और बढ़ती जा रही है। जिस प्रकार जल का स्तर घटता जा रहा है उसके
हिसाब से हमारा भविष्य शायद ऐसा नहीं होगा जैसे आज है। हम सोचते है हमारे पास वाॅटर बाॅटल है; शुद्ध जल है अतः हमें इस तरह की
समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा परन्तु देखा जाये तो हमारे पास बहुत कम समय है आज
हमारे पास सुविधायें है परन्तु कल शायद हम पैसों से भी इस सुविधाओं को नहीं खरीद सकते।
हम आज नहीं जागे तो बहुत देर हो जायेगी। साध्वी भगवती सरस्वती ने परमार्थ गंगा तट पर
भारी संख्या में उपस्थित छात्रों और श्रद्धालुओं को जल संरक्षण और एकल उपयोग प्लास्टिक
का उपयोग न करने का संकल्प कराया। इस अवसर पर जल के प्रति जागरूकता हेतु पपेट शो का
आयोजन किया गया।
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