फोटोः डीडी 1
कैप्शन : हिमालयन ट्राइब महोत्सव
का शुभारंभ करते
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत।
हिमालयन ट्राइब महोत्सव में
सम्मिलित हुए सीएम
संदीप गोयल/एस.के.एम.
न्यूज़ सर्विस
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह
रावत सुभाष रोड
स्थित स्थानीय वैडिंग
प्वाइंट में अयोजित
हिमालयन ट्राइब महोत्सव में
सम्मिलित हुए। मुख्यमंत्री
ने रं-रौंगपा-जाड़-शौका
जनजाति की ओर
से आयोजित इस
महोत्सव को जनजाति
समाज की समृद्ध
सांस्कृतिक विरासत को पहचान
दिलाने का कारगर
प्रयास बताया। उन्होंने कहा
कि हमें अपनी
समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की
पहचान को बनाये
रखना होगा। बड़ी
संख्या में युवाओं
द्वारा इस आयोजन
में की गई
पहल को भी
उन्होंने सराहनीय बताया। उन्होंने
कहा कि आज
जरूरत है युवाओं
को अपनी समृद्ध
लोक संस्कृति, बोली,
भाषा व सांस्कृतिक
विरासत से जोड़ने
की। मुख्यमंत्री ने
कहा कि जिस
प्रकार गंगा में
अनेक धाराओं के
मिलन से गंगा
गंगा ही रहती
उसी प्रकार हमारी
विभिन्न लोक संस्कृतियां
मिलकर हमें पहचान
दिलाती है। हमारी
संस्कृति हमारी विरासत है
इस विरासत से
भावी पीढी को
परिचित कराने का कार्य
हमें करना होगा।
हमारी खूबसूरती का
रहस्य भी हमारी
लोक संस्कृति ही
है।
उन्होंने कहा
कि आज जब
हर घंटे में
एक बोली समाप्त
हो रही है,
भाषा सिमट रही
है ऐसे में
अपनी बोली, भाषा,
वेश-भूषा, लोक
कला व लोक
संस्कृति को संरक्षित
करने के समेकित
प्रयास किये जाने
चाहिए। उन्होंने इसके लिये
राज्य सरकार की
ओर से अपेक्षित
सहयोग का भी
आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री श्री
त्रिवेन्द्र ने कहा
कि राज्य में
अपनी लोक भाषाओं
को संरक्षित करने
के लिये उन्हें
पाठ्यक्रम का हिस्सा
बनाया जा रहा
है जिसकी शुरूआत
पौड़ी से की
गई है, अल्मोड़ा
से भी शीघ्र
यह पहल आरम्भ
की जायेगी। मुख्यमंत्री
ने कहा कि
नीति घाटी, हर्षिल,
रं घाटी, दारमा,
व्यास, चौदास का प्राकृतिक
सौन्दर्य एवं लोक
संस्कृति बेजोड़ है। प्रसिद्ध
फिल्मकार महेश भट्ट
जैसे कई फिल्मकार
यहां के प्राकृतिक
सौन्दर्य से काफी
प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने युवाओं से अपनी
संस्कृति से जुड़े
रहने का भी
आह्वान किया। महोत्सव में
जनजाति क्षेत्रों के लोक
कलाकारों द्वारा प्रस्तुति दी
गई। इस अवसर
पर मुख्यमंत्री श्री
त्रिवेन्द्र ने डी.एस. नेथवाल
द्वारा तैयार की गई
विडियो ‘‘अंग भी
हुंटी‘‘
का भी विमोचन
किया। कार्यक्रम में
मंगला माता, चार
धाम विकास परिषद
के उपाध्यक्ष शिवप्रसाद
ममगाई, सी.एस.नपलच्याल, डॉ आई.एस.पाल
सहित बड़ी संख्या
में जनजाति समाज
के लोग उपस्थित
थे।